Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -13-Jan-2022 परियों की दुनिया

आज तो साहित्यिक एप पर बड़ी गजब की रौनक छा रही थी । कारण यह था कि उस एप ने आज का विषय रखा था "परियों की दुनिया" । जिधर देखो उधर कोई न कोई परी इठला रही थी । उमंग और उत्साह से भरपूर । सौन्दर्य बिखेरती हुईं, अपना जादू दिखलाती हुईं, सबके सपनों में आकर सबकी ख्वाहिशें पूरी करती हुईं बहुत व्यस्त नजर आ रही थीं । 


सब बड़ी खुश थीं कि कम से कम साहित्यिक एप जी ने तो उनकी महत्ता समझी । वरना तो इस दुनिया में उनके साथ अत्याचार ही होता आया है । मर्द जाति बड़ी निर्दयी, निष्ठुर, उत्पीड़क, दमनकारी, पैशाचिक प्रवृत्ति वाली होती है । नारी कोमल हृदया , भावना प्रधान, संवेदनशील होती हैं । नारी एक परी का रूप ही तो है । वह सबकी इच्छाओं का सम्मान करती है । पूरे परिवार का ध्यान रखती है और मर्द ? वह तो पैदाइशी अत्याचारी है । नारी पर अत्याचार करके उसे सुख मिलता है । उसे स्त्री की भावनाओं का कोई खयाल नहीं है । हर जगह उनसे खिलवाड़ करता है । 

नारी तो पूरे परिवार के लिये जीती है, पूरे परिवार का ध्यान रखती है मगर मर्द तो केवल अपने लिये ही जीता है । केवल अपना ध्यान रखता है । और तो और वह कमाई भी केवल अपने लिये ही करता है । कमाई के लिए वह धूप, गर्मी, सर्दी सहकर पत्थर तोड़ता है, जूते साफ करता है, मजदूरी करता है, खेतों में काम करता है । रिक्शा चलाता है, सवारियाँ ढोता है तो इसमें बड़ी बात क्या है ? यह तो उसका कर्तव्य है । अगर वह अपना कर्तव्य कर रहा है तो वह खुद के लिए जी रहा है । स्त्री अगर अपना कर्तव्य करती है तो वह महान काम कर रही होती है । वह खुद के लिए नहीं, परिवार के लिए जीती है ।  स्त्री के तो कड़वे वचन भी शहद तुल्य होते हैं जिन्हें सुनाकर स्त्री धन्य धन्य हो जाती है और मर्द उन्हें सुनकर जानवर से इंसान बन जाते हैं । महान कवि कालिदास और तुलसीदास जी अपनी महान पत्नियों की बदौलत ही तो इतने महान साहित्यकार बने थे । इसमें उनके बुद्धि कौशल , ज्ञान , शैली वगैरह का कोई योगदान नहीं था । सारा योगदान तो उनकी पत्नियों का था जिन्होंने "ताना चालीसा" सुना कर उनका जीवन ही बदल दिया । अगर वे ताने नहीं मारतीं तो हम इतने श्रेष्ठ साहित्य से वंचित रह जाते । 

एक महान नारी थीं गांधारी देवी । कहते हैं कि भीष्म के अत्याचारों के कारण उसका विवाह एक अंधे व्यक्ति धृतराष्ट्र से कर दिया गया । गांधार नरेश भीष्म की ताकत के सामने उस विवाह के लिए ना नहीं कह सके । गांधारी  ने अपने बेटे दुर्योधन को इतने श्रेष्ठ संस्कार दिये कि वह अपनी भाभी को अपने कुल के पूर्वजों की उपस्थिति में निर्वस्त्र करना चाहता था । तब ये महान नारी इस महान काम को रोकने आगे नहीं आयी और अपने बेटे को इस महान काम को करने से नहीं रोका । बेटे को कोई दंड भी नहीं दिया ।  जब द्रोपदी कुरु वंश को शाप देने लगी तब उसने द्रोपदी को रोक दिया । वाह । एक स्त्री ने दूसरी स्त्री की कितनी इज्ज़त की । इससे बढिया उदाहरण शायद ही कोई मिले ? 

कैकेयी कितनी महान महिला थी । वो तो राजा दशरद एक बहुत बड़े अत्याचारी पति थे । जमकर अत्याचार किये थे  उन्होंने कैकेयी पर । बेचारी कैकेयी क्या करती ? अत्याचारों का बदला लेने के लिए श्रीराम को बनवास भेज दिया । कितना महान काम किया था उन्होंने । मर्द तो हैं ही इसी लायक । अगर राम ने जो एक मर्द मात्र था,  चौदह वर्ष वन में बिता लिये तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा उन पर ? 

एक नवजात बच्चे को नदी में बहाने का काम भी तो माता कुंती ने ही किया था । यदि वह गंगा कि लहरों में समा जाता तो समा जाता । इसमें माता कुंती का क्या दोष ? 

देवयानी ने जबरन ययाति से विवाह किया । देवयानी के पिता गुरु शुक्राचार्य से पंगा लेने की हिम्मत ना तो शर्मिष्ठा के पिता में थी और न ही ययाति में । बेचारा ययाति । शादी करना चाहता था शर्मिष्ठा से लेकिन करनी पड़ी देवयानी से । पर अत्याचारी तो मर्द होते हैं । बार बार उदाहरण भीष्म पितामह का दिया जाता है देवयानी का नहीं । क्योंकि स्त्री के समस्त कार्य बिल्कुल सही होते हैं और मर्द ? मर्द तो कुछ अच्छा करना जानते ही नहीं हैं । 

जहां तक मुझे याद है, दहेज कम आने को लेकर शायद ही किसी पुरुष ने ताने मारे होंगे । मगर सास, ननद तो परियां हैं । वे तो बहू को पलक पांवड़े बिछाकर घर में लाती हैं । लड़की होने पर जो भी अपशब्द कहे जाते हैं वे सब मर्द प्रजाति के द्वारा ही तो कहे जाते हैं । नारियां तो गुणगान करती हैं । कोख में बच्चे मारने का काम केवल पुरुष करते हैं क्योंकि वे तो हैं ही जन्मजात दुष्ट । 

पता नहीं फिर क्यों कोई लड़की इन दुष्टों से विवाह कर लेती है ? आपस में ही दोनों परियां क्यों नहीं विवाह करके बच्चे पैदा कर लेती हैं । अरे हां, याद आया । जिस तरह बच्चे पैदा होने का सारा श्रेय मां को दिया जाता है उससे तो कभी कभी पुरुषों को लगता है कि शायद उनका कोई योगदान नहीं है । जब पुरुषों का कोई योगदान नहीं , उनकी कोई उपयोगिता नहीं तो फिर पुरुषों से विवाह करने की जरुरत ही क्या है ? अनुपयोगी सामान को ड्राइंग रूम में कौन रखता है ? 

फिल्मों में जो नायिकाएं लगभग नग्न नजर आती हैं वे भी मर्दो की वजह से ही हैं । फिल्मों में चांस मिलने के लिए वे सब कुछ करने को राजी हो जाती हैं, इसमें उनका कोई दोष नहीं है ।सारा दोष मर्दो का है । 

अत्याचारी मर्द । औरत का अभिशाप झेलने को तैयार हो जाइये । मर्द जाति का उसी तरह सफाया हो जायेगा जिस तरह यदुवंश का हुआ था । फिर धरती पर परियां ही परियां नजर आयेंगी । अद्भुत, अनमोल, अलौकिक । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
13.1.22 

   24
19 Comments

kashish

03-Feb-2023 02:03 PM

osm post

Reply

Seema Priyadarshini sahay

20-Jan-2022 09:08 PM

बहुत खूबसूरत

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

20-Jan-2022 09:34 PM

धन्यवाद जी

Reply

Shrishti pandey

15-Jan-2022 11:31 PM

Nice

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

16-Jan-2022 01:02 AM

धन्यवाद जी

Reply